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ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें, यहां जानें पूरी बातें

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ईश्वर ने हमें मनुष्य जीवन इसलिए दिया है ताकि इसका सदुपयोग करें ना कि दुरुपयोग. जैसा कि आप जानते हैं, मनुष्य जीवन 84 लाख योनियों के बाद मिलता है परंतु लोग अपने शरीर को बर्बाद कर रहे हैं. क्योंकि उन्हें मनुष्य जीवन का महत्व नही पता और गलत सही काम करते जा रहे हैं. पुरुष को स्त्री शरीर चाहिए और स्त्री को पुरुष शरीर चाहिए और इसी मोह माया में फंसे हुए हैं. लेकिन आप एक अच्छा जीवन व्यतीत करना चाहते हैं तो आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा.

अगर आप ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं तो बड़ी से बड़ी मुश्किलों को आसानी से पार कर सकते हैं क्योंकि आपके अंदर एक अलग प्रकार की एनर्जी आ जाती है. जो मनोज से ब्रह्मचर्य का पालन करता है वह हमेशा सुख में जीवन जीता है कई लोग ब्रह्मचर्य का पालन करने में विफल हो जाते हैं क्योंकि वह इसके बारे में पूरी तरह से अवगत नहीं होते हैं. आइए जानते हैं, ब्रह्मचर्य का सही से पालन कैसे करें?

ब्रह्मचर्य के लिए पांचों इंद्रियों पर संयम करना होगा

ब्रह्मचर्य के मार्ग पर, अध्यात्म के मार्ग पर, आनंद के मार्ग पर चलना चाहते हैं. तो एक इंद्री के संयम के लिए पांचों इंद्रियों पर संयम करना होगा. ब्रह्मचर्य का रक्षा तभी इंसान कर सकता है, जब सर्वतो भावे ब्रह्मचर्य होगा. सर्वतो भावे ब्रह्मचर्य का मतलब नेत्र का ब्रह्मचर्य करना होगा जो नेत्र किसी को भी देखकर भोग कामना कर लेते हैं.

नेत्र का ब्रह्मचर्य सबसे पहले शुरू करें. आपको वो चीज नहीं देखनी, वो बातें नहीं पढ़नी, वो दृश्य नहीं देखनी, जिससे आपके अंदर कामवासना जागृत हो. अगर कोई पशु-पक्षी भी मैथुन कर रहा है, अचानक दृष्टि गई तो उस प्रकार की क्रिया जागृत हो जाती है. अगर देख भी लेते हैं तो कोशिश करें कि दोबारा दृष्टि नहीं जाना चाहिए. वरना ज्यादा चांसेस हो सकते हैं कि आपका ब्रह्मचर्य टूट जाए.

वाणी का ब्रह्मचर्य भी बहुत बड़ा प्रभाव डालता है. यदि आप किसी के मुख से अश्लील बातें, गंदी बातें, कामुक बातें करेंगे तो आप ब्रह्मचर्य रह ही नहीं सकते. अगर आप वाणी से परस्पर शरीर वाली बातें करेंगे तो आपका ब्रह्मचर्य निष्फल हो जाएगा, चाहे वह स्त्री शरीर धारक हो या पुरुष शरीर धारक हो.

परस्पर आकर्षण वाली बातें करते हैं तो वाणी की व्यभिचार से आपका ज्ञान इंद्री का भी विचार खत्म हो जाएगा. आप रोक नहीं सकते इसलिए वाणी से आप कोई वार्ता ना कीजिए, जिससे आपके अंदर कामवासना बढ़े.

गंदी बातें, व्यभिचार की बातें, कामुक बातें सुनना जिससे हमारे हृदय में कामना जग जाए, बिल्कुल न करे. धर्म की बात, अपने आराध्य देव की बात, शास्त्र से संबंधित बाते करें. कोई ऐसा मित्र है या हमारा साथ में रहने वाला है किसी भी साधक को लेकर बात कर रहा है तो उनसे दूर रहें नहीं तो उन्हें समझा दे कि आप इस प्रकार की बातें ना करें, बात करनी है तो प्रभु की बातें करें.

अगर आप सर्वेंद्र रे ब्रह्मचारी वाव नींद का ब्रह्मचर्य नेत्र इंद्री का ब्रह्मचर्य और तिवारी इंद्री का ब्रह्मचर्य किसी को स्पर्श मत करें तो हमारी त्वरित का व्यभिचार ना होने पाए.

हम जहां जहां आसक्त हो रहे हैं उसमें केवल और केवल भ्रम है. शरीर के द्वारों में कहीं सुख है, घृणित द्वारों में कहीं सुख है, नही. अगर उसको भोगने के बाद हृदय कह देता है कि अब कुछ ना चाहिए तब सही हो सकता था लेकिन फिर से वही मन करने लगता है क्योंकि उसको तृप्ति नहीं होती है जो जितना भोग कर रहा है वह उतना ही दुखी है.

यदि आप किसी भी तरह से हस्तमैथुन आदि के द्वारा गंदे दृश्य देखकर करके गंदी क्रियाओं के द्वारा आप खुद का नाश करते रहेंगे तो आप इस लोक में ना सुखी रहेंगे ना ही परलोक में.

ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें ?

ब्रह्मचर्य का रक्षा करने के लिए पहला तो यह निश्चय करना होगा की आप अनुशासन में रहे. और जिस वीर्य को आप व्यर्थ समझ रहे हैं वह बहुत बड़ी जीवनी शक्ति है. चाहे आप जितना उसे निकालते रहें आपको सुख कभी नहीं मिलेगा, दुख बढ़ता चला जाएगा. आप थोड़े दिन ब्रह्मचर्य कर देखें. आपका जीवन सही से चलने लगेगा और हर परेशानी मिट जाएगी.

स्वभाविक आप का वीर्य स्खलित होता है, बिना किसी चेष्टा के. तो आपको घबराना नहीं है पर कोई क्रिया नहीं करनी है और संयम से रहना है. ऐसा कभी-कभी होता है जब वीर्य खुद से स्खलित हो जाता है. परंतु जो ब्रह्मचर्य रहते हैं, उनके मुताबिक 10 साल में बाई चांस एक बार हो सकता है या वह भी नहीं होगा. वह इसलिए हो जाता है जब वैसा माहौल बन जाता है जब दिमाग में कुछ ऐसी बातें आ जाती है.

> ब्रह्मचर्य रक्षा के लिए सरल जीवन होना अत्यंत आवश्यक है. विलासिता से बचा जाए.

>अगर आप ब्रह्मचर्य को लंबे समय तक कायम रखते हैं तो संयम करें. भगवान का भजन सुने और भगवान की पूजा करें.

>अगर आप ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहते हैं तो दिन में कम से कम 2 बार स्नान करें जिससे मन शीतल होता है. दो बार स्नान करने से शरीर की गर्मी नष्ट होती है.

>कपड़े स्वच्छ होने चाहिए पवित्र होने चाहिए भले कपड़े फटे हो भले कम पैसे वाले हो लेकिन पवित्र होने चाहिए और स्वच्छ कपड़े होने चाहिए.

>भोजन के तुरंत बाद स्नान ना करें.

>नहाने के दौरान खुशबूदार साबुन का इस्तेमाल ना करें. इससे आपके अंदर कामना जाग जाती है.

>अधिक गर्म पानी से नहाना ब्रह्मचर्य के लिए हानिकारक है.

>स्नान करने के बाद शरीर को रगड़ करके पोछिए.

>ब्रह्मचारी के लिए भोजन में सुधार होना अत्यंत आवश्यक है. दिन में आप 390 ग्राम ही भोजन करें. अगर आप ज्यादा भोजन करते हैं तो ब्रह्मचर्य पर प्रभाव डालता है.

>सात्विक आहार ही ब्रह्मचारी के लिए सही रहता है.

>गरम भोजन नहीं करना चाहिए चाहे वह सात्विक क्यों ना हो अन्यथा वह तामसिक बन जाएगा.

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