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Shark tank india: टीचर से पैसा लेकर, बना डाला टी गिलास धोने वाला मशीन

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टी गिलास वाशिंग मशीन, जो कि हाइजीनिकली 12 से 15 गिलास को वास कर सकता है, एक साथ 30 सेकंड में. इस प्रोडक्ट की यूएसपी(Unique selling propositions) है कंपैक्ट साइज और यूनिक डिजाइन और तो और इस प्रोडक्ट से और भी डिजाइन डेवेलप की जा सकती है, फॉर वॉशिंग इंडस्ट्री.

Mahantam कंपनी की शुरुवात कैसे हुई ?

महानतम(Mahantam) कंपनी के फाउंडर धवल प्रकाश भाई नाई और जयेश प्रकाश भाई नाई है. दोनों गुजरात के रहने वाले हैं और सगे भाई हैं. इनकी कहानी बहुत ही इंस्पायरिंग है, जिसे हर युवाओं को जानना चाहिए. आइए जानें कैसे उन्होंने कंपनी बनाई?

जयेश ने कहा, “sharks, मुझे शुरु से ही बिजनेस करने का शौक था. लॉकडाउन में, जब हम घर पर थे तो यह मशीन का वर्क कर रहा था. मैं कोई भी बिजनेस का आइडिया ढूंढ रहा था कि कैसे बिजनेस करें, कैसे आगे बढ़े. तभी इसने मशीन डेवलप कर दिया.”

धवल ने कहा, “जब मैं डिप्लोमा कर रहा था जैसे हर एक कॉलेज के बाहर टी स्टॉल रहती है. वहां पर मैं रोज चाय पीता था. रोज देखता था एक टब है एक टब में पानी है और उसमें सारे गिलास है और बिना अच्छे से साफ किए चाय देते हैं. लेकिन हमें भी नॉर्मल लगता था क्योंकि हम रोज पी रहे थे. लेकिन एक दिन बैठा था, मैंने देखा उस चाय वाले की एक बकरी थी. बकरी आई मुंह डाली पानी में, उसी पानी में पानी पीने लगी जिसमें गिलास है. इसके बाद मैंने वहां पर चाय पीना छोड़ दिया.

उन्होंने आगे कहा, “कोरोना, में जब मैं घर पर था. पापा ने कोरोना से पहले एक लैपटॉप दिया था तो मैंने लैपटॉप लिया और यूट्यूब में सर्च किया ‘हाउ टू मेक डिजाइन’ और मेरे को 6 महीने लग गए डिजाइन सीखने में, किस तरह से डिजाइन करने हैं. जैसे ही लॉकडाउन खत्म हुआ, धनेरा गया अपने पापा के साथ. पापा ने जिस के पास पलंग बनाने के लिए दिया था दुकान पर मैंने पापा से कहा मेरे लिए बात करो ना मैंने बात की सेठ से मैं यहां काम करना चाहता हूं मैं आपको हेल्प करूंगा आप जो बोलोगे वह काम करूंगा. मुझे पैसे नहीं चाहिए.

फिर मैंने सेठ से कहा मैं यहां कुछ बना सकता हूं उन्होंने कहा ठीक है कोई बात नहीं 2 घंटे बीच में गैप रहती थी उस टाइम में मैं अपना काम करता था और थोड़े समय में मैंने मशीन बना दिया जो पूरा फ़ैल गया, दूसरा मशीन भी फेल हो गया ऐसे ही तीसरा मशीन बनाया वह भी फेल हो गया, चौथा मशीन बनाया वह भी फेल हो गया. एक दिन मशीन बना रहा था वह सेठ आए और बोले– बेटा, तुम अपना भी टाइम वेस्ट कर रहा है, तू रहने दे.

टीचर ने मशीन बनाने के लिए दिया 10 हजार रुपए

धवल आगे बताते हैं कि, मैं अपने सर से मिलने गया पालमपुर मैंने सर से बात की मेरे को ऐसा मशीन बनाना है पैसे भी नहीं है सर ने बोला क्या चिंता करता है, यह ले 10 हजार रुपए. तो मैं गया बनाना शुरू कर दिया 1 महीने लगा जो भी मैकेनिज्म, जो भी पानी का फ्लोर चाहिए था वह पूरा रेडी हो गया. प्रोटोटाइप रेडी हो गया लेकिन मार्केट के लिए रेडी नहीं था. मेरा एक फ्रेंड यूट्यूबर था. उसने बोला तेरा वीडियो बना देते हैं. इसके बाद वीडियो कई लोगो ने देखा.

एक सूरत में इंजीनियर है, chai makers by engineer वह भी मैकेनिकल इंजीनियर थे इस वीडियो को देखते ही उन्होंने मुझे कॉल किया. सर मेरे को यह मशीन चाहिए थी. मेंटर ने बोला कि उससे पैसे मत लेना, ऐसे ही मशीन दे आ क्योंकि तेरा यह फर्स्ट मशीन है. कहीं ना कहीं फिर से प्रॉब्लम पैसे की ही थी. मैं कॉलेज गया अपने प्रोफेसर से मिला फिर दूसरे कॉलेज भी गया और वहां पर भी प्रेजेंट किया. ऐसे करके मैंने ₹100000 कलेक्ट कर लिए उसे ₹100000 से 5 मशीन बना दिए.

Mahantam में किस शार्क ने पैसा लगाया

अनुपम मित्तल ने एक ऑफर दिया, 30 लाख 20 पर्सेंट इक्विटी के लिए कंपनी का वैल्यूएशन 1.5 करोड़ रुपए. इसके बाद पांचों शार्क(नमिता, विनीता, अनुपम, अमन और पियूष बंसल) को यह आइडिया पसंद आया और उन्होंने साथ मिलकर एक ऑफर दिया, 30 लाख 20 पर्सेंट इक्विटी के लिए कंपनी का वैल्यूएशन 1.5 करोड़ रुपए. फाउंडर इस ऑफर को एक्सेप्ट करते हैं और डील क्लोज करते हैं.

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