अगर इरादे मजबूत हो तो इंसान क्या नहीं कर सकता चाहे लाख परेशानियां हो जीवन परंतु वही व्यक्ति सफल होता है, जो इन चुनौतियों को पार करे. इंदौर के उत्कर्ष द्विवेदी को, लगातार दो बार upsc में असफलता मिली परंतु हार नहीं मानी और इस साल तीसरे प्रयास में यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम में पांचवा रैंक हासिल किया. आइए उत्कर्ष द्विवेदी के बारे में जानते हैं, कैसे हासिल की यह सफलता.
उत्कर्ष द्विवेदी ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2021 में 5 वी रैंक हासिल की है. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुआ था. उनके पिता का नाम जगदीश प्रसाद है जो पारले कंपनी में सीनियर एरिया मैनेजर है और माता गृहिणी है.
वह बचपन से ही काफी होनहार छात्र थे. उन्होंने 10th और 12th डीपीएस(दिल्ली पब्लिक स्कूल), इंदौर से की है. उसके बाद वर्ष 2015 में भी वीआईटी(वेल्लोर प्रौद्योगिकी संस्थान) वेल्लोर में एडमिशन कराया. 4 साल बाद पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 2019 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. उसके बाद यूपीएससी परीक्षा के लिए साल भर जमकर मेहनत किया और वर्ष 2020 में पहला attempt दिया, परंतु वे असफल हुए और दूसरा attempt वर्ष 2021 में दिया, उस साल भी निराशा हाथ लगी. उसके बाद वर्ष 2022 में उनका सिलेक्शन हो गया और पूरे भारत में यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम में 5वां रैंक प्राप्त किया, जिससे परिवार के साथ इंदौर वासी भी खुश है.
उनका जन्म भले ही उत्तर प्रदेश में हुआ है परंतु पिताजी के जॉब के कारण 12 सालों से मध्यप्रदेश के इंदौर के शालीमार टाउनशिप में रह रहे है. उत्कर्ष को डीएम बनने की इच्छा तब जगी, जब उनके नाना व नाना जी ने इस पद के बारे में रूबरू कराया, क्योंकि उनके नाना और नानी जिस विभाग में काम करते थे वहां पर अक्सर डीएम विजिट आया करते थे. नाना ने उत्कर्ष को समझाया कि तुम्हें बड़ा होकर आईएएस अधिकारी बनना है यह तब की बात बात है जब उत्कर्ष 6th क्लास में थे.
उत्कर्ष द्विवेदी ने कहा की– “सबसे पहले प्राथमिकता उस जिले पर निर्भर करेगी जिसमें मैं तैनात हूं. लेकिन लोगों को प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं के संबंध में सामान्य प्राथमिकताएं रहेंगी.”
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