नीतू घनघस एक भारतीय बॉक्सर है. उनका जन्म 19 अक्टूबर 2000 को हरियाणा राज्य के भिवानी जिले के घनाना गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम जय भगवान घनघस है, जो एक सरकारी कर्मचारी थे और उनकी माता मुकेश देवी गृहिणी है. नीतू का एक छोटा भाई भी है, जिसका नाम अक्षित घनघस है.
नीतू को बचपन से ही बॉक्सिंग का शौक था जिसके चलते उनके पिता ने गृह जिले में बॉक्सिंग क्लब में ट्रेनिंग करने के लिए ज्वाइन करवाया आपको जानकारी के लिए बता दूं कि जिस क्लब में नीतू का एडमिशन कराया गया था वहां से बड़े-बड़े धुरंधर निकले इसी कारण से उनके पिता ने नीतू को इस बॉक्सिंग क्लब में भेजा था. एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2008 में मुक्केबाज विजेंद्र ने ओलंपिक मेडल जीता तब से नीतू प्रोत्साहित होकर मुक्केबाजी की ट्रेनिंग चालू कर दी.
हालांकि, यह बॉक्सिंग क्लब नीतू के घर से 2.5 किलोमीटर की दूरी पर था, जिसे वह पैदल चलकर यात्रा पूरी करती थी. नीतू के पिता ने नीतू की बॉक्सिंग में सफलता दिलाने के लिए अपनी नौकरी तक को छोड़ दी और दिन-रात मेहनत कराते रहें और प्रोत्साहित करते रहते थे.
नीतू घनघस ने कई पदक अपने नाम किए
वर्ष 2017 में एआईबीए यूथ वुमंस वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता और अपने माता पिता के साथ पूरे देश का नाम रोशन किया. वर्ष 2018 में निल्लादा मीकून को हराकर एशियाई युवा मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक जीता था. उसके बाद वर्ष 2019 में कंधे की चोट लग गई जिसके चलते उन्हें 2 साल तक बॉक्सिंग से बाहर रहना पड़ा.
साल 2022 में बुलगारिया में आयोजित 73वें स्ट्रैडजा कप बॉक्सिंग टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता था. यही नहीं, नीतू ने फरवरी 2022 में मैरीकॉम जैसे धुरंधर को हराकर राष्ट्रमंडल खेलों में अपना जगह पक्का किया, तब से लोगों को लग रहा था कि नीतू सीडब्ल्यूजी 2022 में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतेगी. 7 अगस्त 2022 को 45 48 किलो(मिनिममवेट) वर्ग के फाइनल में इंग्लैंड की विश्व चैंपियनशिप 2019 की कांस्य पदक विजेता डेमी–जेड को हराया और भारत के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया.